Mai - 1 in Hindi Love Stories by Deepak Kumar _Official books and stories PDF | मै - भाग 1

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मै - भाग 1

हम कभी-कभी बिना कुछ सोचे ही बहुत से काम शुरू कर देते हैं लेकिन जैसे-जैसे हम आगे बढ़ते हैं और उनके परिणाम आना शुरू होते हैं जो कभी सुखद होते हैं तो कभी दुखद। मैं भी उन्हीं में से एक हूं जिसने बहुत बार बिना सोचे समझे बहुत सारी चीजें शुरू की बहुत बार सफलता और असफलता का मुंह देखा। मैं हमेशा से ऐसा नहीं रहा हूं यह बात है 2011 की जब मैंने कक्षा 11 में प्रवेश किया यहां से मेरी जिंदगी बदलना शुरू हुई । मैंने कभी सपने में नहीं सोचा था कि मैं इस समय 2022 में इस कहानी को लिखूंगा।

यह मैं हूं और मेरी कहानी है तो चलिए शुरू करते हैं -- जब मैंने क्लासेस करना शुरू किया मैं आपको बताता चलूं कि वाणिज्य से मैंने इंटरमीडिएट किया है। हां तो शुरू करते हैं जब मैंने अपने क्लास करना शुरू किया तो उनके साथ हमारी इंग्लिश और हिंदी क्लासेस कंबाइंड लगती थी पहले मैंने उनको देखा फिर उन्होंने मुझे देखा और हम एक दूसरे को देखने लगे समय बढ़ता गया धीरे-धीरे हमने बातचीत शुरू की। मुझे याद है मैं उनसे पहली बार तब बोला था जब मुझे पानी पीना था। पानी की बोतल लेकर आई मेरी ओर उन्होंने उस बोतल को दिखाया मैंने कहा, बिल्कुल मैं पानी पी लूंगा लेकिन तुम पहले पी लो उन्होंने कहा नहीं तुम पी लो अगर बचेगा तो मैं पी लूंगी।



यह बात वहीं खत्म हुई हम दोनों ने पानी पिया उसके बाद हम दोनों एक दूसरे से बात करने लगे। एक दिन उनकी सभी दोस्तों ने मेरा नंबर लिया। उन्होंने कहा कि तुमने मुझे अपना नंबर नहीं दिया। मैंने कहा तुम को लेना है तो खुद मांगो। उन्होंने मुझ से रिक्वेस्ट की थी कि अपना नंबर मुझे दे दो फिर मैंने अपना नंबर उन्हें दे दिया। उसके बाद मैं इंतजार करने लगा।

बहुत मजा होता है इंतजार का जब किसी चेहरे को आप पसंद करते हो किसी के स्वभाव को आप पसंद करते हैं और वह भी आपको पसंद करता है।
तब टेलीनॉर का ₹5 का रिचार्ज आता था एक दिन जब उनकी कॉल आई माफी चाहूंगा मिस्ड कॉल आई।
मैंने सोचा कौन है यह मेरा दिल जोरो से धड़कने लगा मैंने जब कॉल बैक किया तो इनकी प्यारी सी आवाज मुझे सुनाई दी इतनी खुशी थी मेरे अंदर कि मैं शब्दों में नहीं बयान कर सकता।

ऐसा लग रहा था सब कुछ मिल गया हो मुझे।
बहुत सारी बातें हुई हमारी उनकी।
हम घंटो घंटो एक दूसरे से बात करते रहते ऐसा करते हुए महीनों बीत गए हम दोनों ने एक दूसरे को जानने की इच्छा भी बहुत अधिक थी वह हमसे हमारी पसंद नापसंद पूछने लगे हम उनसे उनकी पसंद पूछने लगे और ऐसा करते हुए बातों ही बातों में हम एक दूसरे के लिए सोचने लगे।
उनकी परवाह हम और वह हमारी परवाह करने लगे फिर एक ऐसा दिन आया जिसने हमारी जिंदगी बदल कर रख दी एक ऐसा पल जिसका हमें बेसब्री से इंतजार था लेकिन क्या वह सफल होगा या असफल होगा इस बात को मैं आपको कहानी के अगले भाग में बताऊंगा आपको अगर मेरी कहानी पसंद आ रही है तो आप इसे ज्यादा से ज्यादा प्यार दें।
धन्यवाद।